Osho बीसवीं सदी के महान दार्शनिक और एक अध्यात्म गुरु थे भारत ही नहीं पूरी दुनिया में रजनीश ओशो की एक अलग पहचान थी ओशो का अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो अपने आप को सागर में विलीन कर लिया है इनको को पूरी दुनिया एक विरोधी लकीर से हटकर चलने वाले रहस्यमयी व्यक्ति के रूप में देखती है अराजकता वाली सोच के कारण लोगों में उनकी लोकप्रियता इसलिए बढ़ी क्योंकि यह किसी परंपरा समाज धर्म का हिस्सा कभी नहीं रहे इन्होंने अपने जीवन में हर विषय पर अपनी बात रखी और चर्चा कड़ी उन्होंने राजनीति दर्शन अध्यात्म और जितने भी महापुरुष इस दुनिया दुनिया में है या थे उनके बातों की चर्चा की यह बहुत ही तार्किक व्यक्ति थे और हर विषय मैं तर्क के साथ अपने बातों को सबके सामने रखते थे उनके तर्क ऐसे होते थे जो आज तक न ही किसी ने सोची है और ना ही कोई ऐसा सोच सकता है उनके तर्क से लड़ना किसी के बस की बात नहीं थी अगर आप एक बार उनके तर्क को सुनाने लग गए तो फिर उसके बाद आप उससे जुड़ते चले जाएंगे और आपको सोचने का एक नया नजरिया मिलेगा इन्होंने अध्यात्म को एक नया नजरिया देने की कोशिश की इन्होंने संभोग को अध्यात्म से जोर दिया यह बताते हैं कि संभोग आध्यात्मिक जीवन का ही एक हिस्सा है इन्होंने बहुत सारी किताबें भी लिखी जिनमें से उनकी सबसे लोकप्रिय किताब है संभोग से समाधि तक इनके ऊपर बहुत सारे आरोप लगे और बहुत सारे वाद विवाद से भी इनका नाता रहा तो आईए जानते हैं उनकी कहानी को शुरुआत से की कैसे एक साधारण सा लड़का ओशो बना इनकी बातों को सुनने के बाद या तो आप इनको गलत मानेंगे या नहीं तो आप इनके बातों को सही मानते हुए उनके राह पर चलने लग जाएंगे
Table of Contents
Osho wiki/bio
Name | Rajneesh Osho |
Real Name | Chandra Mohan Jain |
Nick Name | Bhagwan Rajneesh |
Age | 58 years |
Date of Birth | 11 December 1931 |
Height | 6 Feet |
Weight | Approximately 80 kg |
Profession | Philosopher Writer Teacher Spiritual Guru |
Home Town | Kuchwada Madhya Pradesh |
Birthplace | Kuchwada Madhya Pradesh |
Religion | Hindu |
Caste | Jain |
School | |
Education | M A in Philology |
College | University of Sagar |
Famous For | Philology. Theory |
Hobbies | Reading, |
Marital Status | Not Married |
Who was Rajneesh Osho, and what did he do / Osho Story
ओशो का जन्म मध्य प्रदेश के Kuchwada गांव में एक जैन परिवार में हुआ था इनका परिवार एक मध्य वर्ग परिवार था इन्होंने अपनी 10 साल तक की जीवन अपने नाना नानी के घर पर बिताई है यह बचपन से ही पढ़ने में बहुत ही तेज तरार हुआ करते थे इनकी सवाल पूछने की चाह बहुत रहती थी उनके सवाल कभी भी खत्म नहीं होते थे कि किसी भी चीज को बहुत ही गहराई तक सोचते थे बचपन में ही इन्होंने किताबें पढ़ना शुरू कर दिया था और उन किताबों को को पढ़ते और उनका सारांश अपने दोस्तों के साथ और अपने गांव वालों के साथ शेयर करते हैं और यह दुनिया को एक अलग नजरिए से देखते थे दुनिया को अलग देखने का नजरिया इन्हें इनकी दादी से प्राप्त हुई थी अपने सवालों के जवाब को ढूंढने के लिए यह बहुत ही ज्यादा किताबें पढ़ करते थे [1]
Osho Education Qualification
अपनी शुरुआती पढ़ाई मध्य प्रदेश से ही की है साल 1951 में दर्शन से BA करने के लिए Hitkarini College Jabalpur में इन्होंने अपना दाखिला करवाया एक बार की बात है कॉलेज में इनके प्रोफेसर से उनकी किसी बात पर बहस हो गयी थी यह क्लास के दौरान इतने सवाल पूछते थे की प्रोफेसर उनके सवाल के जवाब देते देते थक जाते थे उनके सवाल के जवाब देने के चक्कर में प्रोफेसर अपनी क्लास को भी कंप्लीट नहीं कर पाते थे आखिरकार कॉलेज के प्रोफेसर उनके सवालों से परेशान होकर प्रधानाचार्य के पास गए और बोले की या तो कॉलेज में ओशो रहेंगे या फिर में , दोनों में से किसी को कॉलेज छोड़ना पड़ेगा यह प्रस्ताव उनके प्रोफेसर ने प्रधानाचार्य के पास रखी प्रधानाचार्य ने ओशो को अपने पास बुलाकर कॉलेज छोड़ने को कहा प्रधानाचार्य ने ओशो से कहा कि इनमें उसकी कोई गलती नहीं है उनके चलते वह अपने वरिष्ठ प्रोफेसर को खोना नहीं चाहते हैं ओशो ने इस शर्त पर कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिया कि अगर वह किसी और कॉलेज में उनके नामांकन कर दे तो वह उनकी कॉलेज को छोड़ देंगे
तब तक ओशो के सवाल और ओशो की सोच आसपास के इलाकों में काफी लोकप्रिय हो चुका था उनके तर्क से लोग डरते थे इसलिए कोई भी कॉलेज उनकी दाखिला लेने के लिए तैयार नहीं थे बहुत ही प्रयासों के बाद D. N. Jain College मैं उनका दाखिला हो पाया 1955 में इन्होंने अपनी BA डिग्री कंप्लीट की और 1957 में सागर यूनिवर्सिटी से दर्शन में MA किया [2]
Osho Career
साल 1957 में ही रायपुर के एक संस्कृत कॉलेज में प्रवक्ता के रूप में उन्होंने कॉलेज ज्वाइन किया कुछ दिन वहां काम करने के बाद साल 1960 में जबलपुर यूनिवर्सिटी में दर्शन के प्रोफेसर बन गए धीरे-धीरे जबलपुर यूनिवर्सिटी के सबसे पॉपुलर प्रोफेसर बन गए इनके क्लास में दर्शन के छात्र के साथ-साथ अन्य छात्र भी इनके क्लासेस क्लासेस को अटेंड करने लगे क्योंकि उनकी बातें काफी कंट्रोवर्सी भारी और अराजकता वाली होती थी हर दिन किसी ने किसी टॉपिक पर बात होती थी और उसमें वह खामियां ढूंढते और बच्चों को पढ़ाते हैं प्रकार से पढ़ने मैं बच्चों को काफी मजा आता था धीरे-धीरे आसपास के इलाकों में भी काफी लोकप्रिय होने लगे और इनको स्पीच के लिए अलग-अलग विषय में आमंत्रित करने लगे अलग-अलग मंचों में
फिर उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण करना शुरू कर दिया अलग-अलग जगह पर जाते और अपने विचार को प्रस्तुत करते कुछ लोग उनके विचारों से सहमत होते हैं और कुछ लोग उनके विचारों से सहमत नहीं होते क्योंकि उनके विचार ही ऐसे होते थे कि जिस आदमी का सर घूम जाता था उसे दिन प्रोफेसर के रूप में काम करने के बाद उन्होंने प्रोफेसर के पद से अपना इस्तीफा दे दिया और परिपूर्ण तरीके से एक आध्यात्मिक गुरु बनने का सफर शुरू कर दिया
साल 1970 में इन्होंने मुंबई में अपना पहला मुख्यालय का स्थापना किया यहां पर वह अध्यात्म दर्शन और राजनीतिक मुद्दों पर खुलकर बात करने लगे और लोगों को एक नई दिशा देने लगे लोगों के अंदर एक नई सोच लाने की दिशा में जुट गए यह भारत में पैदा हुए सबसे मौलिक विचारों में से एक थे इसके अलावा वह सबसे अधिक विचारशील वैज्ञानिक सोच और नए विचारों वाले सख्श थे यह धर्म और राजनीति को एक ही पहलू के दो हिस्से बताते थे यह बताते थे कि धर्म और राजनीति सिर्फ लोगों को गुलाम बनाने के लिए है और उनके अंदर उच्च नीच की भावना पैदा करने के लिए है यह जटिल से जटिल विषय को आसान तरीके से तर्क देकर समझते थे
कुछ दिन मुंबई में रहने के बाद इन्हें मुंबई के बारिश के कारण जीवन जीने में काफी परेशानी होने लगी इन्हें अलग-अलग बीमारियों का सामना करना पड़ा मुंबई में गर्मी के कारण इनकी बीमारियां काफी बढ़ रही थी फिर उन्होंने अपना ठिकाना बदलने का सोचा फिर जाकर इन्होंने पुणे में अपने संस्थान की स्थापना की
पुणे में उनके संस्थान में हर दिन 5000 से ज्यादा लोग उनके प्रवचन को सुनने के लिए आते थे उनके प्रवचन अलग-अलग विषय में होती थी एक महीने हिंदी में होती थी और एक महीने अंग्रेजी में होती थी धीरे-धीरे यह काफी लोकप्रिय होने लगे और उसे समय टूरिज्म का भी नया-नया दौर शुरू हुआ था यूरोप अमेरिका जैसे देशों से टूरिस्ट इंडिया घूमने आते थे और जब यह टूरिस्ट टीम के आश्रम में पहुंचे थे तो पता नहीं ऐसा क्या लगाव हो जाता था जो एक बार इनके शरण में चला गया वह कभी इनके शरण से वापस नहीं लौट सकते थे
मानो लोग धीरे-धीरे उनके दीवाने जैसे होने लगे थे फिर इनका नाम आचार्य रजनीश से जाना जाने लगा फिर कुछ समय बाद उनके शिष्य इन्हें भगवान रजनीश से कहकर बुलाने लगे जो एक बार उनकी प्रवचन सुन लेता मानो उसे पर कोई जादू सा हो जाता था आज भी अगर आप इनकी Talks को यूट्यूब पर जाकर सुनेंगे एक बार आपने गौर से सुन लिया तो आप सुनते चले जाएंगे [3]
Osho Sex Controversial Things That He Did In His Ashrams?
यह कैसे आध्यात्मिक गुरु थे जिन्होंने सेक्स को आध्यात्मिक जीवन का एक अंग बताया उनकी यह विचार लोगों की सोच को हिला कर रख दिया कुछ लोग इनके बातों से सहमत हुए तो ज्यादा से ज्यादा लोग इनके से बातों सहमत नहीं हुए रिपोर्ट्स की माने दो उनके आश्रम में सेक्स करने की खुली छूट थी यह तो अपने आश्रम में अलग-अलग थेरेपी अपने शिष्यों को देते थे जिनमे सेक्स थेरेपी सबसे ऊपर था यह अपने शिष्यों को सेक्स पार्टनर बदलने की सलाह देते थे और अलग-अलग एक्सपीरियंस लेने की सलाह देते थे यह कहते थे की सेक्स कोई दबाने की चीज नहीं है बल्कि यह जीने की चीज है उनके आश्रम में रहने वाले इनके शिष्य और महिला शिष्य एक दिन में तीन-तीन बार तक सेक्स किया करते थे
धीरे-धीरे सेक्स से जुड़ी उनकी यह सोच लोगों तक पहुंचने लगी और लोगों ने इनका जमकर विरोध किया इनके विचार ऐसे थे कि आज भी 21वीं साड़ी में आप उनके विचारों को मानेंगे तो इस समाज को देखते हुए आज आप भी उनके विचारों को नहीं अपना पाएंगे कई बार तो उनके विवादित बयान और टिप्पणियों की वजह से भारतीय संसद में उन पर प्रतिबंध लगाने के बारे में चर्चा होने लगी थी अलग-अलग लोगों को आकर्षित करने के लिए ओशो कई कई अलग-अलग विषय चुनते थे इस बीच उनकी किताब आई संभोग से समाधि तक जो इंडिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन चुकी थी लोग इनकी इस किताब को पोर्नोग्राफी से जोड़कर देख रहे थे लेकिन यह बताते थे कि यह किताब सेक्स को आध्यात्मिक जीवन से जोड़ने की बात करता है फिर बहुत सारे आलोचनाओं को देखते हुए इन्होंने इंडिया छोड़ने का निर्णय लिया मोरारजी देसाई की सरकार थी उसे समय में और सरकार से भी उनकी बहुत सारी खटपट होने लगी
साल 1981 में इन्होंने अपने नए आश्रम के लिए अमेरिका रवाना हो गए उनके पीछे-पीछे उनके 2000 से ज्यादा शिष्य भी अमेरिका पहुंच गए जिनमे मशहूर एक्टर विनोद खन्ना भी शामिल थे कुछ दिन यह न्यू जर्सी में रहे और उसके बाद अमेरिका के Oregon में 62000 हजार एकड़ बंजर जमीन में अपना आश्रम बनाने का निर्णय लिया और उसका नाम रखा रजनीश पुरम उनके शिष्य में दुनिया के महान लेखक और हर क्षेत्र के दिग्गज शामिल थे इसलिए इन्हें कभी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा नहीं इनके पास पैसे की कोई कमी होने लगी इनका यह आश्रम मानव एक छोटा सा शहर हो उसमें स्कूल हॉस्पिटल होटल और एक शहर के लिए जितनी जरूरी चीज हैं सब मौजूद थी
उसके बाद अमेरिका में भी उन्हें बहुत सारे आरोप लगे वहां के आसपास के नागरिकों को भी परेशानी होने लगी और ओशो के सेक्रेटरी को बायो टेरर अटैक में दोषी पाई गई और उन्हें सजा सुनाई गई ओशो के बढ़ते साम्राज्य को देखते हुए अमेरिका भी डरने लगे क्योंकि उनके शहर राजनीशपुरम में अमेरिका के बड़े-बड़े बिजनेसमैन ब्यूरोक्रेट्स सब शामिल थे जो एक बार उनके प्रवचन सुन लेता था समझ लो कि वह हिप्नोटाइज हो जाता था इन सब विवादों के चलते अमेरिका में ओशो को 17 दिन की सजा भी काटनी पड़ी जेल में और 48 लख रुपए का जुर्माना भी भरना पड़ा उसे कई बार बेल नहीं मिलने के बाद अमेरिकी सरकार ने उनके सामने प्रस्ताव रखा कि अगर उन्हें बेल दिया जाए तो उन्हें यह अमेरिका देश छोड़कर जाना पड़ेगा फिर उसके बाद बेल मिला और वह अमेरिका छोड़ दिए अमेरिका छोड़ते समय उन्होंने अलग-अलग देश में जाने की कोशिश की पर कोई भी देश उन्हें अपने यहां आने की अनुमति नहीं दे रहा था यानी कि सारे देशों ने ओशो का जाना बैन कर दिया था फिर वह भारत लौट आए और अपने पुणे में स्थित आश्रम में ही रहने लगे [4]
Who killed Osho and why did they kill him
19 जनवरी 1990 को 58 साल की उम्र में रजनीश ओशो का मृत्यु हो गया उनके मृत्यु को लेकर भी बहुत सारी रहस्यमई कहानी जुड़ी है आज तक उन्हें कोई सुलझा नहीं पाया
पहली कहानी यह है कि अमेरिका सरकार ने जेल में रखने के दौरान उनके शरीर में एक स्लो प्वाइजन डाल दिया गया था जिसे धीरे-धीरे वह प्वाइजन फैलता गया और चार-पांच साल बाद उनकी मौत हुई
और दूसरी कहानी यह है रिपोर्ट के मुताबिक कि उनके करीबियों ने प्रॉपर्टी के लिए उनकी हत्या कर दी जिनमे उसके सेक्रेटरी का भी नाम शामिल है और उनके प्रिय शिष्य का नाम शामिल पत्रकार Abhay ने एक किताब लिखी है Who Killed OSHO इस किताब में यह बहुत सारे सवाल उठाते हैं कि जिस रात ओशो की मौत हुई थी करीब रात के 1:00 बजे डॉक्टर गोकुल गोकनी को फोन करके आश्रम बुलाया गया था लेकिन उसके लेकिन उसको ओशो के कमरे करीब चार घंटे बाद जाने दिया गया था डॉक्टर गोकुल गोकिनी ने 2015 में एक इंटरव्यू में यह बात बताई थी
ऐसा लग रहा था कि उनका मौत का इंतजार किया जा रहा है अगर आश्रम में इतने सारे डॉक्टर मौजूद थे तो बाहर से डॉक्टर क्यों बुलाया गया था और अगर उनकी तबीयत खराब थी तो उन्हें अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया था और डॉक्टर ने जब उनकी मौत के बारे में उनके शिष्यों से पूछा तो उन्होंने बताया कि हार्ट अटैक से उनका मौत हुआ लेकिन डॉक्टर बताते हैं कि जब वह उनके कमरे में गए थे तो उनके हाथों पर उल्टी के निशान थे उनके शिष्यों ने उल्टी के निशान के बारे में कोई जिक्र नहीं किया और डॉक्टर को बोला कि आप एक हार्ट अटैक की रिपोर्ट बनाकर दे दीजिए और बहुत ही जल्दी-जल्दी में उनका अंत संस्कार कर दिया गया यह कहकर की आचार्य की यह मनोकामना थी कि उनके मरने के बाद उनको जल्द से जल्द उनकी अंतिम संस्कार कर दिया जाए [5]
इन्होंने अपने जीवन में 100 से भी ज्यादा किताबें लिखी है और एक लाख से भी ज्यादा पुस्तक पड़ी है हर विषय में
Osho Car Collection
उनके कर कलेक्शन में 93 से भी ज्यादा रोल्स-रॉयस शामिल थी जो इन्हें उनके शिष्यों के द्वारा गिफ्ट में मिली थी इन्हें यह भारत को नहीं ला पाए थे भारत आने के बाद उनके पास एक मर्सिडीज़ थी [6]
Osho Wife And Affairs
इन्होंने शादी नहीं की थी बट उनकी बहुत सारी अफेयर्स थे इन्होंने इन्हीं पर बहुत सारे यौन उत्पीड़न के भी आरोप लगे थे इनकी प्रमुख गर्लफ्रेंड थी
Sheela Ambalal Patel or Ma Anand Sheela
Ma Prem Nirvano (Ma Yoga Vivek) (Allegedly)
Osho NetWorth
ओशो फाउंडेशन के पास टोटल 1000 करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति है रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी इनके संपत्तियों पर उनके शिष्यों का कब्जा है क्योंकि उनके शिष्यों ने ओशो की एक वसीयत कोर्ट के सामने पेश की है इसमें भी बहुत सारे वाद विवाद हैं कि यह वसीयत सही है या गलत है इसकी अभी भी कोई पुष्टि जानकारी नहीं है [7]
How Many Books Did Osho Read
around 1.5 lakh books
How Many Books Written By Osho
Around 150 books Above
निष्कर्ष
आप ओशो के विचार से सहमत हो या ना हो लेकिन एक बार आप ओशो के विचारों को जरूर पढ़ें जिनसे आपको सोने का एक नया नजरिया मिलेगा सोने का एक नया दृष्टिकोण मिलेगा जो आप कभी सोच भी नहीं सकते थे उसे प्रकार की सोने की क्षमता आपकी डेवलप होगी तो मेरा आप सभी से ही सजेशन है कि उनके बातों को सही माने या गलत माने यह आप पर है लेकिन उनके विचारों को एक बात अवश्य सुने और उन पर विचार करें
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