सपनों को पूरा करने के लिए बड़ी कोचिंग क्लास, महंगे गाइड और शहरों की चकाचौंध ज़रूरी नहीं होती। अगर ज़रूरी है तो केवल मजबूत इरादों की, मेहनत करने की और कभी हार न मानने की। पश्चिम बंगाल के अलिपुड़ुआर जिले की आदिवासी छात्रा जेमिना नार्जिनारी ने इस बात को सच कर दिखाया। सीमित साधनों और कठिन परिस्थितियों में रहते हुए भी उसने NEET-UG परीक्षा पास कर डॉक्टर बनने की राह बना ली। यह कहानी सिर्फ उसकी जीत नहीं है, बल्कि हर उस बच्चे के लिए उम्मीद की किरण है जो सपनों को लेकर संघर्ष कर रहा है।
Gemina’s Family and Background
जेमिना का घर अलिपुड़ुआर जिले के पूर्व साताली (Purba Satali) क्षेत्र में है, जो जंगलों और चाय-बागानों से घिरा हुआ इलाका है। यहाँ रहने वाले लोग अक्सर रोज़मर्रा की ज़िंदगी चलाने में ही कठिनाई महसूस करते हैं। शिक्षा के लिए साधन सीमित हैं, अच्छी कोचिंग और बड़े स्कूल अक्सर दूर होते हैं। जेमिना के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं थी। उसके माता-पिता ने हमेशा यह चाहा कि उनकी बेटी पढ़े और आगे बढ़े। लेकिन घर की आय इतनी नहीं थी कि उसे महँगी कोचिंग दिलवाई जा सके। फिर भी माता-पिता ने उसे हरसंभव समर्थन दिया और जेमिना ने भी ठान लिया कि चाहे हालात जैसे भी हों, वह अपने सपने को सच करके दिखाएगी
The struggle for education and preparation
जब बाकी बच्चे बड़े शहरों में रहकर कोचिंग से पढ़ाई कर रहे थे, जेमिना के पास ऐसा कोई साधन नहीं था। उसने मोबाइल फोन और इंटरनेट को ही अपना शिक्षक बना लिया। यूट्यूब वीडियो, ऑनलाइन नोट्स और पुराने प्रश्नपत्र उसकी पढ़ाई के मुख्य साधन थे। गाँव में नेटवर्क की समस्या और बिजली कटौती जैसी दिक्कतें आम थीं, लेकिन जेमिना ने इन रुकावटों को अपनी मेहनत के आगे कभी दीवार नहीं बनने दिया। वह जब भी समय पाती, पढ़ाई करती और अपनी तैयारी को मजबूत करती। उसका कहना है कि उसने कभी यह नहीं सोचा कि संसाधन कम हैं, बल्कि हमेशा यही विश्वास रखा कि उसका सपना बड़ा है और उसे सच करना ही है।
Challenges and confidence
जेमिना के लिए यह सफर आसान नहीं था। किताबें और गाइड खरीदने के लिए हमेशा पैसे नहीं होते थे। विशेषज्ञ मार्गदर्शन की जगह उसे खुद ही रास्ता खोजना पड़ा। पढ़ाई का माहौल हमेशा अनुकूल नहीं था, लेकिन उसने ध्यान भटकने नहीं दिया।इन सभी बाधाओं के बीच भी जेमिना का आत्मविश्वास अटल रहा। उसका मानना था कि “मेहनत और धैर्य सबसे बड़ी ताकत हैं।”
NEET-UG में सफलता
कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर जेमिना ने 2025 में NEET-UG परीक्षा पास कर ली। यह सफलता उसके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे इलाके के लिए गर्व का विषय बनी। जहाँ लोग सोचते थे कि बिना कोचिंग मेडिकल एंट्रेंस पास करना नामुमकिन है, वहाँ जेमिना ने इस मिथक को तोड़ दिया। इस उपलब्धि के बाद उसका दाखिला कोचबिहार के MJN मेडिकल कॉलेज में हुआ, जहाँ वह डॉक्टर बनने की पढ़ाई करेगी। उसकी सफलता से न केवल परिवार का सपना पूरा हुआ, बल्कि गाँव के अन्य बच्चों के लिए भी यह एक बड़ी प्रेरणा बनी
Reaction from locals
गाँव के लोग जेमिना की उपलब्धि से बेहद खुश हैं। सभी का कहना है कि यह सिर्फ उसकी व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय की जीत है। बस्ती की बेटियाँ और बेटे अब उसकी मिसाल लेकर अपने भविष्य की योजना बना रहे हैं। जेमिना की सफलता ने यह साबित कर दिया कि गाँव-कस्बों के बच्चे भी डॉक्टर और इंजीनियर बन सकते हैं, बस उन्हें थोड़ी दिशा और आत्म-विश्वास चाहिए।
Learning and inspiration
जेमिना की कहानी हमें कई महत्वपूर्ण बातें सिखाती है: अगर परिस्थितियाँ कठिन हैं तो वे हमें हारने नहीं बल्कि जीतने के लिए तैयार करती हैं। महँगी कोचिंग और बड़े शहरों की जरूरत नहीं; मेहनत और लगन सबसे बड़ा हथियार हैं। माता-पिता के हौंसले और आशीर्वाद से हर मुश्किल आसान हो जाती है। गाँव की लड़की भी डॉक्टर बन सकती है, अगर उसका सपना साफ और मेहनत सच्ची हो।