Dr. Bhupen Hazarika, जिन्हें लोग “Sudhakant” और “Brahmaputra के गायक” भी कहते हैं, भारत के बड़े singer, writer, music composer और social worker थे। उनका जन्म 8 September 1926 को Assam के Sadiya में हुआ था। Bhupen Hazarika ने अपने songs और काम के जरिए आम लोगों की तकलीफों और हक की बात उठाई। उन्होंने humanity, equality और अपनी मिट्टी से जुड़ाव का संदेश दिया। वे songs लिखते, music बनाते और films भी बनाते थे। उनके लगभग 1500 songs, 14 films और कई books आज भी लोगों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं। अपने काम की वजह से उन्हें Bharat Ratna (2019), Padma Vibhushan (2012), Dada Saheb Phalke Award (1992), Sangeet Natak Akademi Award (1987) और Padma Bhushan (2001) जैसे बड़े सम्मान मिले। 5 November 2011 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके songs और विचार हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
Dr. Bhupen Hazarika wiki/bio
| Field | Info |
|---|---|
| Name | Bhupen Hazarika |
| Born | 8 Sept 1926, Sadiya, Assam |
| Died | 5 Nov 2011, Mumbai |
| Profession | Singer, Composer, Lyricist, Filmmaker |
| Known For | Socially conscious songs, Assamese & Hindi film music |
| Major Awards | Padma Shri (1977), National Award (1975), Dadasaheb Phalke (1992), Padma Bhushan (2001), Padma Vibhushan (2012), Bharat Ratna (2019) |
| International Honors | Asia Pacific Film Award (1993), Bangladesh Freedom Award (2011) |
| Key Memorials | Bhupen Hazarika Setu, Museum in Guwahati, Postal Stamps |
| Google Tribute | Doodle on 8 Sept 2022 |

Dr. Bhupen Hazarika Early Life & Family
Dr. Bhupen Hazarika का जन्म 9 September 1926 को Assam के Sadiya में हुआ था। उनके पिता का नाम Nilakanta Hazarika था, जो एक teacher थे, और उनकी माँ का नाम Shantipriya Hazarika था। Bhupen अपने माता-पिता के 10 बच्चों में सबसे बड़े थे। उनके घर में songs, music और art का माहौल था, इसलिए बचपन से ही Bhupen का मन गानों की ओर झुक गया। उनकी माँ उन्हें lullabies सुनाती थीं और Assam के folk songs सिखाती थीं।
बचपन में उन्हें प्यार से “Bor Myna” कहा जाता था। 1929 में उनका परिवार अच्छी job की तलाश में Guwahati के Bharalumukh इलाके में आ गया। फिर 1932 में वे Dhubri और 1935 में Tezpur में बस गए। Tezpur में Bhupen की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया, जब सिर्फ 10 साल की उम्र में वे Assam के दो बड़े artists के संपर्क में आए। वहीं से उन्होंने छोटे-छोटे songs लिखना और गाना शुरू कर दिया, जो आगे चलकर उनका जीवन बन गया।
Dr. Bhupen Hazarika Education and early music lessons
Dr. Bhupen Hazarika 1935 में Tezpur में जब Bhupen सिर्फ 10 साल के थे, तब उन्होंने एक कार्यक्रम में गाना गाया। वहाँ Assam के दो बड़े कलाकार मौजूद थे—Jyotiprasad Agarwala (मशहूर गीतकार, नाटक लिखने वाले और पहले Assamese filmmaker) और Bishnu Prasad Rabha (जाने-माने कलाकार और आज़ादी के गीत लिखने वाले कवि)। उस समय Bhupen ने Borgeet गाया, जो उनकी माँ ने सिखाया था। दोनों ही कलाकार Bhupen की आवाज़ और हुनर से बहुत प्रभावित हुए और 1936 में उन्हें Kolkata ले गए। वहाँ Aurora Studio में Selona Company के लिए Bhupen ने अपना पहला song रिकॉर्ड किया।
Bhupen की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने Sonaram High School, Guwahati और Dhubri Government High School में पढ़ाई की। 1940 में उन्होंने Tezpur High School से 10वीं की परीक्षा पास की। 1942 में उन्होंने Cotton College, Guwahati से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। 1944 में उन्होंने Banaras Hindu University से Political Science में graduation किया और 1946 में वहीं से post-graduation की डिग्री ली। पढ़ाई के दौरान Bhupen ने कुछ समय All India Radio, Guwahati में भी काम किया, जहाँ से उन्हें गाने और लिखने का और ज़्यादा मौका मिला।
Dr. Bhupen Hazarika Foreign education and intellectual development
Dr. Bhupen Hazarika 1949 में Bhupen Hazarika को Columbia University से एक छात्रवृत्ति मिली, जिसके बाद वे New York चले गए और वहाँ अपनी PhD की पढ़ाई शुरू की। उनकी PhD का विषय था—“भारत में बड़ों की पढ़ाई के लिए Audio-Visual तरीकों का उपयोग”। 1952 में उन्होंने अपनी PhD पूरी कर ली। इसके अलावा उन्हें Chicago University से Lisle Fellowship भी मिली, जहाँ उन्होंने फिल्मों के ज़रिए पढ़ाई और समाज सुधार के तरीके सीखे।
New York में उनका समय Bhupen की जिंदगी में बहुत अहम रहा। वहीं पर उनकी मुलाकात Paul Robeson से हुई, जो America के जाने-माने गायक और समाजसेवी थे। Paul Robeson ने Bhupen से कहा, “Guitar सिर्फ एक बाजा नहीं, यह समाज को बदलने का जरिया है।” इस बात ने Bhupen को बहुत प्रभावित किया और उन्होंने संगीत को बदलाव का साधन माना। Paul Robeson के गाने “Old Man River” से प्रेरित होकर Bhupen ने असमिया में “Bistirno Parore” लिखा, जिसे बाद में Hindi, Bengali और कई भारतीय भाषाओं में गाया गया। यह गाना आज भी बहुत मशहूर है।

Dr. Bhupen Hazarika Career and cultural contributions
Dr. Bhupen Hazarika का करियर बहुत बड़ा और अलग-अलग कामों से भरा था। कुछ समय उन्होंने Gauhati University में पढ़ाया, फिर Kolkata गए, जहाँ वे एक जाने-माने music director, singer और filmmaker बन गए। 1953 में वे IPTA (Indian People’s Theatre Association) से जुड़े, जो लोगों की समस्याओं पर काम करने वाला कला समूह था। 1955 में उन्हें Assam के तीसरे IPTA सम्मेलन में स्वागत समिति का सचिव बनाया गया।
फिल्मों में Bhupen का काम बहुत खास था। उन्होंने Assamese, Hindi और Bengali फिल्मों में गाने और music दिए। उनकी मुख्य फिल्मों में Shakuntala (1961), Pratidhwani (1963), Era Bator Sur (1956), Aarop (1974) और Chameli Memsaab (1974) शामिल हैं। फिल्म Chameli Memsaab के लिए उन्हें 1975 में National Award मिला। 1993 में Kalpana Lajmi की फिल्म Rudaali के लिए Bhupen ने music दिया, जिसे तीन National Awards मिले। इस फिल्म के लिए उन्हें Japan में Asia Pacific International Film Festival में Best Music Award मिला, और वे ऐसा सम्मान पाने वाले पहले Indian बने।
Bhupen ने 1500 से ज्यादा songs लिखे, जो Assamese, Bengali, Hindi और कई भाषाओं में हैं। उनके गानों में इंसानियत, गरीबों की मदद, महिलाओं के हक, प्रकृति और अपने देश से प्यार का संदेश मिलता है। उनके Assamese songs में Moi Eti Zazabor (मैं एक यात्री), Ganga Mor Maa (गंगा मेरी माँ), Manuhe Manuhar Babe (इंसान इंसान के लिए), Bistirno Parore (दूर तक फैली नदी) बहुत मशहूर हैं। Hindi में उनके गाने Dil Hoom Hoom Kare, Samay O Dheere Chalo, Ek Kali Do Pattiyaan आज भी लोकप्रिय हैं।
1967 में Bhupen Assam Vidhan Sabha के सदस्य चुने गए और 1972 तक इस पद पर रहे। 1993 में वे Assam Sahitya Sabha के अध्यक्ष बने। 1998 से 2003 तक वे Sangeet Natak Akademi के अध्यक्ष भी रहे।

Dr. Bhupen Hazarika Awards and Honors
Bhupen Hazarika को भारत के लगभग सभी बड़े कला और सरकारी सम्मान मिले। उनके कुछ खास पुरस्कार इस तरह हैं:
राष्ट्रीय सम्मान:
- Padma Shri (1977) – भारत का चौथा सबसे बड़ा सम्मान
- National Award – Best Music Director (1975) – फिल्म Chameli Memsaab के लिए
- National Award – फिल्मों Pratidhwani, Shakuntala और Loti Ghoti के लिए
- Sangeet Natak Akademi Award (1987)
- Dadasaheb Phalke Award (1992) – भारत के फिल्मों का सबसे बड़ा सम्मान
- Padma Bhushan (2001) – भारत का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान
- Sangeet Natak Akademi Fellowship (2008)
- Asom Ratna (2009) – Assam का सबसे बड़ा सम्मान
- Padma Vibhushan (2012, निधन के बाद) – भारत का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान
- Bharat Ratna (2019, निधन के बाद) – भारत का सबसे बड़ा सम्मान
अंतरराष्ट्रीय सम्मान:
- Asia Pacific Film Festival, Japan (1993) – फिल्म Rudaali के लिए Best Music Award (पहले भारतीय जिन्हें यह पुरस्कार मिला)
- Bangladesh Muktiyuddho Samman (2011) – Bangladesh सरकार की तरफ से सम्मान
अन्य सम्मान और पहचान:
- Arunachal Pradesh Gold Medal (1979) – आदिवासी समाज के लिए काम
- Assam Sahitya Sabha से “Biswa Ratna” का नाम
- Tezpur University से Doctor की मानद उपाधि (2001)
- Rabindra Bhawan, Guwahati में Lifetime Service Award (2002)
- Sadia में Bhupen Hazarika की प्रतिमा (2009)
- Barshapara Cricket Stadium का नाम “Dr. Bhupen Hazarika Stadium” (2010)
- Indian Postal Stamps (2013 और 2016)
- Dhola-Sadiya Bridge का नाम “Bhupen Hazarika Setu” (2017) – भारत का सबसे लंबा पुल
- Srimanta Sankaradeva Kalakshetra में Bhupen Hazarika Museum, Guwahati
- Google Doodle (8 September 2022) – उनके 96वें जन्मदिन पर
ये सम्मान बताते हैं कि Bhupen Hazarika सिर्फ एक गायक नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में बसने वाले एक महान इंसान थे।
Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारी और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारियों की पूरी तरह से सटीकता की गारंटी नहीं है। किसी भी तथ्यात्मक गलती के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे।
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